हौंसले....

रेत पर नाम कभी हम लिखते नहीं
क्यूंकि रेत पर लिखे नाम कभी टिकते नहीं !

इसीलिये हर ख़ास नाम को, शायद पत्थरों पर लिखा जाता है
पत्थर की फिदरत रेत से काफी जुदा होती है
जैसे- रेत पर लिखे नाम तो कभी टिकते नहीं
और पत्थरो पर लिखे हुए नाम कभी मिटाने से भी मिटते नहीं!

मंजिलों को हासिल वही करतें है , मुश्किलों के आगे जो झुकते नहीं
चाहे कैसी भी परिस्थिथि क्यूँ न हों , राहों में जो रुकतें नहीं !

खुद अपनी दिशा तय करती है पानी की हर धार
कभी तो समुद्र बन जाती है तो कभी झरनों की बौछार !

एक ही बात चीख चीख के कहती है हर बार

सोच को बदलो ,सितारे बदल जायेंगे ,
नज़र को बदलो नज़ारे बदल जायेंगे ,
कश्तिया बदलने की जरूरत नहीं,जरूरत है तो हौंसले बुलंद करने की !

रख हौंसला बुलंद इतना की तुझे जीवन में तेरा हर मकाम मिल जाए
भलें ही शुरुआत अकेली हो लेकिन कल - काफिला खुद ब खुद तेरे साथ बन जाए !

- By Neelam
Subscribe Us
Do you like this article ?

Get free daily E-mail updates!

Copyright 2011 IAS...a sole dream